कुर्बानी अल्लाह के हुक्म पर बलिदान होने का जरिया ,मुफ्ती फजलुर्रहमान इलाहाबादी

कुर्बानी अल्लाह के हुक्म पर बलिदान होने का जरिया ,मुफ्ती फजलुर्रहमान इलाहाबादी

अब्दुल्लाह अंसारी/मिल्लत टाइम्स:मऊआइमा इलाहाबाद,
कुर्बानी अल्लाह के हुक्म पर बलिदान होने का जरिया है अल्लाह ने अपने नबी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का कठिन इम्तिहान लिया और हजरत इब्राहिम सदैव हर इम्तिहान में कामयाब रहे उक्त बातें युवा आलिम मुफ्ती फजलुर रहमान इलाहाबादी ने मऊआइमा स्थित पक्का तालाब वाली मस्जिद में ईद उल अजहा की नमाज से पश्चात अपने बयान में कहीं उन्होंने कहा कुर्बानी केवल जानवर की नहीं बल्कि जानवर की कुर्बानी अल्लाह को राजी करने और सवाब की उम्मीद से की जाए तभी उस पर अल्लाह की तरफ से सवाब मिलता है उन्होंने कहा कि अल्लाह ने हजरत इब्राहीम अलैहिस सलाम को अपने बेटे को अपनी राह में बलिदान करने का हुक्म दिया हजरत इब्राहीम अलैहिस सलाम अल्लाह के इस हुक्म को पूरा करने के लिए तैयार हो गए अल्लाह ताला को हजरत इब्राहीम अलैहिस सलाम का यह अमल इतना पसंद आया कि उसको मोहम्मद सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की उम्मत में जारी रखा उन्होंने देश के मौजूदा हालात पर दुख प्रकट किया और कहा कि देश के मौजूदा हालात हमारी बुरे करतूत और बुरे आमाल का नतीजा है मुफ्ती फजलुर रहमान ने मुस्लिम बंधुओं से अल्लाह से रिश्ता मजबूत करने पर बल दिया उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह और रसूल शिक्षा से दूर हो गए हैं जिसकी वजह से पूरी दुनिया के मुसलमान मुसीबत में मुब्तिला है मुफ्ती कासमी ने कहा कि मौजूदा समय में इस्लाम की सही तस्वीर पेश करने की जरूरत है क्योंकि बहुत से लोग इस्लाम के बारे में गलतफहमी में हैं मुफ्ती इलाहाबादी ने कहा इस्लाम अमन शांति का धर्म है अपने अनुयायियों को शांति की शिक्षा देता है उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों को गैर मुस्लिमों के साथ अच्छे व्यवहार पर बल दिया और कहां आपसी सौहार्द और भाईचारे से ही हमारा देश विकसित होगा और इस्लाम धर्म सभी धर्मों के साथ भाईचारे की शिक्षा देता है उन्होंने कहा इस्लाम मोहब्बत की शिक्षा देता है हम मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि मोहब्बत के पैगाम को ज्यादा से ज्यादा आम करें ताकि देश से नफरत को मिटाया जा सके नमाज के बाद देश में अमन शांति खुशहाली के लिए दुआएं की गई और मुस्लिम समाज के लोगों ने गले मिलकर एक दूसरे को ईदुल अजहा की मुबारकबाद दी भारी संख्या में नमाज के लिए लोग मौजूद थे


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