नितीश के मन्त्रीमंडल मे भाजपा के भी दागी नेता रह चुके है मंत्री फिर भाजपा तेजस्वी से क्यू मांग रहे है इस्तीफा

नीतीश कुमार के मंत्रीमंडल में रह चुके है भाजपा के दागी मंत्री..
आज मीडिया द्वारा नीतीश कुमार पर ऐसे दवाब बनाया जा रहा है जैसे नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में हमेशा पाकसाफ लोगो को स्थान दिया लेकिन इतिहास बताता है कि नीतीश ने भाजपा के साथ रहते हुए भाजपा कोटे के मंत्री प्रेम कुमार पर कुछ मामले में लगे आरोप पर इस्तीफा नहीं लिया था. खुद सुनील कुमार पिंटू जो जद यू कोटे के मंत्री थे इसके अलावा भी नीतीश मंत्रिमंडल में कई आरोपी मंत्री रह चुके है,लेकिन कई मामलो में नीतीश ने आरोपी मंत्रियो से इस्तीफ़ा नहीं लिया.

मोदी ने खुद बनाये दागी और करप्ट मंत्री…
गुजरात के तत्कालीन मोदी सरकार के मंत्री बाबू भाई बखोरिया को तीन साल की जल की सजा हुई थी तो भी इस्तीफा नहीं लिया गया. और हाल का मामला यह है कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती, जिन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस का आरोप अदालत ने तय कर दिया है तो इस्तीफा नहीं लिया गया. इसी तरह एक राज्य के राजपाल कल्याण सिंह पर भी आरोप तय है पर गरिमामय पद पर होने के कारण उन पर फिलहाल मुकदमा नहीं चलेगा.

नीतीश का भाजपा के साथ एडजस्टमेंट कर पाना नामुमकिन है..
भाजपा जहाँ रजद और जनता दल यूनाइटेड को अलग करके लोक्सभा चुनाव में इस बार वाला पर्दर्शन दोहराना चाहती है लेकिन जनता दल यूनाइटेड का भाजपा के साथ किस प्रकार गठ्बंधन होगा ये अपने में नामुमकिन सा है,फिलहाल एनडीए के बिहार में 31 सांसद है वही जनता दल यू के सिर्फ दो सांसद है अगर नीतीश एनडीए का रुख करते है फिर उनको कम से कम 15 से 18 लोकसभा सीट भाजपा के लिए छोड़ना होगा,ये नीतीश भी जानते है यदि उन्होंने महागठबंधन से अलग होने का निर्णय लिया फिर भाजपा उनको एडजस्ट नहीं कर पायेगी.वही अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में उनको कोई सहयोगी नही मिलेगा जबकि रजद को कांग्रेस का साथ मिल सकेगा .

छवि के बल पर 2014 लोकसभा चुनाव लड़ कर देख चुके..
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन तोड़कर चुनाव जीतने का मंसूबा पाला था लेकिन उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में सिर्फ दो सीट जीत पायी वही अगर वोट प्रतिशत की बात की जाए तो जनता दल यूनाइटेड को सिर्फ 12 पर्तिशत मत मिले थे वही रजद और कांग्रेस अलायन्स को 29 फीसद मत मिला था जिसमें भी लालू की पार्टी रजद को बीस प्रतिशत मत मिला था ऐसे में छवि के बल पर एकला चल कर चुनाव लड़ने पर नीतीश का हाल पिछले चुनाव से भी बुरा हो सकता है क्युकी इस बार उनके बदलते स्टैंड से मुस्लिम मतदाता में उनकी लोकसभा वाली चमकी सेक्युलर छवि पर गहरा दाग लगा है ऐसे में राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी नीतीश कुमार रजद पर तेजस्वी के इस्तीफ़ा का दवाब बना सकते है लेकिन महागठबंधन तोड़ने पर राजनितिक अंत होने का अनुमान उन्हें भी होगा.


Discover more from Millat Times

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Millat Times

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading