पुलिस की मौजूदगी में की गई जैनुल अंसारी की हत्याः नजरे आलम

पुलिस की मौजूदगी में की गई जैनुल अंसारी की हत्याः नजरे आलम

प्रेस रिलीज़ :पुलिस की मौजूदगी में की गई जैनुल अंसारी की हत्याः नजरे आलम

*निर्मम हत्या पर जिला प्रशासन के विरोध में अल्पसंख्यकों का गुस्सा बढ़ता जा रहा, दोषी पुलिस प्रशासन पर कार्रवाई के लिए राजधानी पटना में आॅल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ का विधानसभा के समक्ष धरना एवं प्रदर्शन*

*विडियो किलिप में नजर आने वाले गुनहगारों को अविलंब जेल में डालने की माँग:बेदारी कारवाँ*

*अल्पसंख्यकों की सुरक्षा नहीं तो वोट नहीं, 24 घंटे के अन्दर हत्यारे और दंगाईयों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो सितामढ़ी मुख्यालय पर अनिश्चित कालीन भुख हड़ताल पर बैठेगा कारवाँ*

*मुख्य मांग:-*
1- जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक पर हो कानूनी कार्रवाई।
2- दंगा की न्यायिक जाँच कराई जाए, दंगाईयों को सजा दी जाए और अल्पसंख्यकों पर किए गए झूठे मुकदमें वापस लिए जाएं।
3- अल्पसंख्यक मंत्री की ओर से निर्दोषों पर किया गया मुकदमा 24 घंटे के अन्दर राज्य सरकार वापस ले।
4- जैनुल अंसारी के परिजन को 5 लाख की जगह 25 लाख रूपया मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
5- दंगा के सभी पीड़िातों की सूची जारी कर अविलंब उचित मुआवजा दिया जाए।

पटना- पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत राजधानी पटना में विधानसभा के समक्ष आॅल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ ने एक दिवसीय धरना एवं विरोध मार्च किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने की। मंच संचाल कारवाँ के महासचिव शाह इमादुद्दीन सरवर ने की। यह धरना 20 अक्टूबर 2018 को सितामढी में हुए दंगे और 82 वर्ष के जैनुल अंसारी की निर्मम हत्या के विरोध में 29 नवम्बर, 2018 को दिन के 11 से किया गया। धरना को भाकपा माले के तीनों विधायक सुदामा प्रसाद, महबूब आलम एवं सत्यदेव राम ने धरना स्थल पर पहुँच कर समर्थन दिया और सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सभी पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए, जैनलु के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी एवं 25 लाख रूपया मुआवजा राज्य की सरकार अविलंब दे। साथ ही इन्होंने यह भी कहा कि सामप्रदायिक शक्तियों से मजबूती के साथ लड़ने की जरूरत है। इस लड़ाई में हमलोग बेदारी कारवाँ के साथ हैं और आगे भी जहाँ तक इस लड़ाई में हम लोगों की जरूरत पड़ेगी साथ रहूँगा। वहीं सभा को संबोधित करते हुए श्री नजरे आलम ने कहा कि बेदारी कारवाँ की मांग है कि जैनुल अंसारी की हत्या का मुकदमा परिवार की ओर से अविलंब दर्ज किया जाए।, जैनुल अंसारी के हत्यारे और दंगा के मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी अविलंब की जाए,

साबिर अंसारी और मोईनुलहक जो गंभीर रूप से घायल हैं उसके ईलाज हेतु राज्य सरकार राशि उपलब्ध कराए, जिनकी दुकानें लूटी और जलाई गई उनको मुआवजा और उनकी ओर से मुकदमा दर्ज कराया जाए। जिनके घरों, गोदाम, गाङियों को लूटा, जलाया और मारा गया उसकी सूची जिला प्रशासन जारी करे, श्री आलम ने यह भी कहा कि जब 19 अक्टूबर को ही मूर्ति विसर्जन को लेकर तनाव उत्पन्न हो गया था तो फिर प्रशासन ने लापरवाही कैसे बरती? जिस गाँव से तनाव पैदा हुआ वहाँ से पुलिस अधीक्षक कार्यालय की दूरी मात्र 5-7 मिनट की है तब 20 अक्टूबर को हुए दंगे में पुलिस को पहुंचने में 42 मिनट कैसे लग गए? दंगा सुनियोजित तरीके से कराया गया है और इसमें सितामढी प्रशासन की लापरवाही साफ है इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी अपने वादे पर कायम रहते हुए वहाँ के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी पर कार्रवाई करें। अल्पसंख्यक मंत्री द्वारा किया गया मुकदमा वापस लिया जाए। श्री नजरे आलम ने साफ तौर पर कहा कि अगर राज्य की सरकार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा नहीं कर सकती तो अल्पसंख्यक समुदाय भी वोट नहीं करेगा। श्री आलम ने अंत में सरकार को सीधे तौर पर चेताते हुए कहा कि 24 घंटे के अन्दर सितामढ़ी दंगा पर राज्य सरकार जबान खोले नहीं तो सितामढ़ी मुख्यालय पर हमारा संगठन अनिश्चित कालीन भूख हडताल पर बैठेगा। वहीं इस धरना को संबोधित करते हुए अकरम सिद्दीकी, नेयाज अहमद (राज्य उपाध्यक्ष इंसाफ मंच), मकसूद आलम खान (उपाध्यक्ष, बेदारी कारवाँ), सुलतान अख्तर (नवादा), ई0 फखरूद्दीन कमर (सचिव, बेदारी कारवाँ), असद रशीद नदवी, मो0 मोतिउर रहमान, मो0 हीरा (बेदारी कारवा), अधिवक्ता सफिउर रहमान राईन, डा0 राहत अली (प्रवक्ता, बेदारी कारवां), कारी मो0 सईद जफर (तारालाही), मो0 तालिब, समिउल्ला नदवी, हाफिज हामिद हुसैन, राशिद कमाल (जिला अध्यक्ष, बेदारी कारवाँ, मधुबनी), सादिक उसमानी (अध्यक्ष, युथ वेलफेयर) नेयाज सिद्दीकी, राकेश सिंह (भाकपा माले, सितामढ़ी), सूरज कुमार सिंह (सचिव इंसाफ मंच, मुजफ्फरपुर), नवाज शरीफ, शमस तबरेज जुगनु (आम आदमी पार्टी), मो0 असलम, मो0 जमशेद, फिदा हुसैन भुटटू कुरैशी, कलीमुद्दीन अंसारी (आरा), नदीम अहमद (पटना) आदि के नाम शामिल हैं। इस धरने में जैनुल अंसारी के दोनों बेटे अखलाक अंसारी, मो0 अशरफ अली और पोता समेत 21 पीड़ितों जिसमें महिला भी शामिल थीं ने हिस्सा लिया। जैनुल के बेटे मो0 अखलाक ने बताया कि पहले मेरे पिता जैनुल अंसारी की हत्या को सितामढ़ी प्रशासन ने छुपाने का प्रयास किया मगर सबूत पेश किया गया तो जिला प्रशासन ने फौरेंसिक जाँच और पोस्टमार्टम का बहाना बनाकर सितामढ़ी में इसकी सुविधा नहीं होने के कारण लाश को सितामढ़ी ले जाने की अनुमति नहीं दी।

हमें मुजफ्फरपुर में सख्त सिक्यूरिटी में जनाजा पढ़ने की इजाजत दी गई। पुलिस के समक्ष जिस प्रकार से उपद्रवियों ने नंगा नाच किया उसके लिए सिधे तौर पर जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जिम्मेदार हैं। दंगाईयों के हाथों जैनुल अंसारी की हत्या के सबूत के बावजूद थाना ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। जब हमने पुलिस अधीक्षक से मुकदमा दर्ज करने की अपील की तो उन्होंने भी हमें मुकदमा दर्ज न कराने की बात कही और यह भी कहा कि पुलिस खुद मामला दर्ज करायगी, जब्कि दंगाईयों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाइी नहीं की गई है। धरना में उपस्थित कई लोगों ने पुलिस अधीक्षक विकास बर्मन के बारे में बताया कि विकास बर्मन का रिकार्ड किसी से छुपा हुआ नहीं है। नवादा में इनके पुलिस अधीक्षक रहते दंगाईयों ने अल्पसंख्यकों की दुकाने और घरों को जला दिया था। ठिक वहीं कहानी उनके रहते सितामढ़ी में भी दोहराया गया। इस में दो व्यक्ति साबिर अंसारी जिसे 36 टाँके लगे थे और मोईनुलहक गंभीर रूप से घायल हुए थे उसका भी इलाज नहीं कराया गया और ना ही उनपर हमला करने वालों पर कोई कार्रवाई की गई। इस अवसर पर मो0 मोअज्जम अली, भगत जी समेत सैकड़ों की संख्या में अमन पसंद लोग उपस्थित थे।


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